मुझे मिला था
डरा सहमा सा
वो बच्चा
जो अपने पिता की उँगलियाँ थामे
सफ़ेद चोगे में लिपटे पादरी से नज़रें चुराते
पहली बार
स्कूल के आहते में दाखिल हुआ था
सलेटी पैंट,नीला कोट पहने
पीठ पर डक-बैक का बस्ता टाँगे
बाटा के चमकीले जूतों में सूरज को निहारता
वो बच्चा
जो धीरे - धीरे नन्हे क़दमों से चलकर
कभी न ख़त्म होने वाले
फर्स्ट - फील्ड
को पार करना चाहता था
वो बच्चा
जिसने
लकड़ी की सीडीयों का पहाड़
दबे पावँ चढ़ कर
जूनियर स्कूल के बरामदे से
दुनिया को पहली बार सर उठा कर देखा था
और हवा में
हौंसलों को महसूस किया था
मुझे मिला था
वो बच्चा
डरा सहमा सा
वो बच्चा
जो अपने पिता की उँगलियाँ थामे
सफ़ेद चोगे में लिपटे पादरी से नज़रें चुराते
पहली बार
स्कूल के आहते में दाखिल हुआ था
सलेटी पैंट,नीला कोट पहने
पीठ पर डक-बैक का बस्ता टाँगे
बाटा के चमकीले जूतों में सूरज को निहारता
वो बच्चा
जो धीरे - धीरे नन्हे क़दमों से चलकर
कभी न ख़त्म होने वाले
फर्स्ट - फील्ड
को पार करना चाहता था
वो बच्चा
जिसने
लकड़ी की सीडीयों का पहाड़
दबे पावँ चढ़ कर
जूनियर स्कूल के बरामदे से
दुनिया को पहली बार सर उठा कर देखा था
और हवा में
हौंसलों को महसूस किया था
मुझे मिला था
वो बच्चा
No comments:
Post a Comment