रोशनी को खुद पर
कभी थोडा तो इतराने दो
धूप को कमरे में उतर कर
थोडा मुस्कुराने दो
हौसलों को वादे
कभी तो निभाने दो
जला डालो झिझक के परदे
थोड़ी तपिश तो आने दो
मुन्ज़मिद बर्फ बर्फ ज़िन्दगी
पिघल जाने दो
कभी थोडा तो इतराने दो
धूप को कमरे में उतर कर
थोडा मुस्कुराने दो
हौसलों को वादे
कभी तो निभाने दो
जला डालो झिझक के परदे
थोड़ी तपिश तो आने दो
मुन्ज़मिद बर्फ बर्फ ज़िन्दगी
पिघल जाने दो
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