1
कुछ तो बात है उसमें
कि नज़रें नहीं हठती
रौशन नूर में उस के
राहत नज़र आती है
थम जाती है
कहकशां की भी रवानी
नज़रें झुक कर
जब वो मुस्कुराती है
कि नज़रें नहीं हठती
रौशन नूर में उस के
राहत नज़र आती है
थम जाती है
कहकशां की भी रवानी
नज़रें झुक कर
जब वो मुस्कुराती है
2
कितनी रकाबत से हैं कटते
ये लम्हे इंतज़ार के
कोई पूछे मुझ से
की मर- मर कर ज़ीना क्या है
3
इस तरह
कुछ मिल गया
तुझ में
मेरा वजूद
साँस भी लेता हूँ
लगता है तू मौजूद
4
उलझा हूँ
कुछ
मैं
इस तरह
की हर सिरे पर
तू नज़र आता है
जितना भी
खुद को सुलझाऊं
तुझ से लिपटता जाता है
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