सोचा था
कि
तेरे बगैर
दिन रात मेरे कट जायेंगे
थोड़े से बादल
हैं जो दिखते जेहन में
जाने से तेरे
छट जायेंगे
मगर तेरे जाना
तूफान लाया
जो भी थी पूँजी
उसे भी गवायाँ
तब जा कर मेरे
समझ में ये आया
की होंगे जुदा कैसे
धूप - छाया
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