मेरा लिबास
मेरी रूह का बायाँ नहीं
जो शमशीर मेरे हाथ है
वो महज इतेफाक है
मेरे पैर के छाले
मेरे चेहरे की खराशें
मेरी पथरायी हथेलियाँ
ये वक्त के दिए निशान हैं
लोग देखते हैं
लोग कहते हैं
इसे दिल नहीं
ये कहाँ इंसान है
कभी
मेरी धड़कन सुनो
तुमको पता चल जायेगा
शायद तुमको ही
इंसान वो मिल जायेगा
जिसने बड़ी शिद्दत से इश्क निभाया
पर हर बार चोट ही खाया
दर्द का दरया वो पी गया
कम्जर्क
हर हाल में फिर भी मुस्कुराया
ओड ली उदासी
बख्तर बना डाला
दर्द के शेह्तीरों को
शमशीर में ढला
बन गया सिपाह
वो इंसान
लोग कहते है
जिसमें ना दिल है
जिस में ना जान
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