Tuesday, October 30, 2012

... क्या हुआ जो दूर है


जनता हूँ मैं 
तू वक्त के उस पार है 
तेरे मेरे बीच में
शीशे की एक दीवार है 

देख सकता हूँ तुझे 
पर छू नहीं सकता 
जाता हो तेरे दरमियाँ 
ऐसा नहीं रास्ता 

तू परस्तिश का सबब है 
रूह का तू नूर है 
महसूस करता हूँ तुझे 
क्या हुआ जो दूर है

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