इकारुस
कब तक
अपने पँख सहलाओगे
चाटेगी जब नाकामियों की दीमक
खुद से बच कर तुम किधर जाओगे
क्यूँ डरते हो
कि फिर से तुम जल जाओगे
बैठे रहे जो यूँ ही तुम
जाहिर है की पत्थर में ढल जाओगे
अपनी पहचान तुम
खुद ही निगल जाओगे
सोचोगे जब तुम
कभी इसके बारे में
अफ़सोस से ही पिघल जाओगे
मेरी मानो
फिर हौसलों के पँख लगाओ
मैं हाथ बढ़ता हूँ आघे
तुम कदम मिलाओ
चलो
फिर
उड़ चलें
आकाश में
सूरज पीने की
प्यास में
कब तक
अपने पँख सहलाओगे
चाटेगी जब नाकामियों की दीमक
खुद से बच कर तुम किधर जाओगे
क्यूँ डरते हो
कि फिर से तुम जल जाओगे
बैठे रहे जो यूँ ही तुम
जाहिर है की पत्थर में ढल जाओगे
अपनी पहचान तुम
खुद ही निगल जाओगे
सोचोगे जब तुम
कभी इसके बारे में
अफ़सोस से ही पिघल जाओगे
मेरी मानो
फिर हौसलों के पँख लगाओ
मैं हाथ बढ़ता हूँ आघे
तुम कदम मिलाओ
चलो
फिर
उड़ चलें
आकाश में
सूरज पीने की
प्यास में
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