मुझे मिटटी बन जाने दो
कुछ काम किसी के आने दो
किसी किसान को अनाज उगने दो
कुछ काम किसी के आने दो
किसी किसान को अनाज उगने दो
किसी फकीर की झोली भर जाने दो
दुआ का ऐसा उठे सैलाब उसके मिजाज से
दर्द के हर कतरे को निगल जाने दो
मुफलिसी को पिघल जाने दो
ख़ुशी को लौट के घर आने दो
माँ को लोरी कोई सुनाने दो
बच्चों को नीद में ढल जाने दो
कुछ काम किसी के आने दो
मुझे मिटटी बन जाने दो
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