Wednesday, November 16, 2011

..मानता हूँ मैं


सच है 
मानता हूँ मैं
की चाँद को कोई तोड़ नहीं सकता
वक्त की रफ़्तार को कोई मोड़ नहीं सकता
फिर भी कोशिश करना , मैं छोड़ नहीं सकता 
मैं जानता हूँ ये
कि मेरे जज्बात से तेरी दुनिया नहीं बदल सकती
जो सदियों से जमी बर्फ है, पहली धुप से नहीं पिघल सकती
फिर भी जहाँ तक हौंसलों का साथ रहेगा
कारवां मेरी कोशिशों का तेरे साथ रहेगा
मैं जानता हूँ कि रात ये लम्बी तो है मगर
सुबह तक तो ले ही आयेगी तुझको भी ये डगर
कोई रिश्ता नहीं जोड़ा , कोई दमन नहीं थमा
रूह तो रंग से ही आजाद होती है
जिस वसल मैं हो खुदाई से राफ्ता 
बस उस सफ़र मैं ही वो साज होती है

1 comment:

  1. मैं जानता हूँ कि रात ये लम्बी तो है मगर
    सुबह तक तो ले ही आयेगी तुझको भी ये डगर...
    very positive thooughts!!

    ReplyDelete