SKAND NAYAL
Sunday, October 09, 2011
राख के कतरों में उन्स अभी बाकी है
यादें सुलगती हैं कोयले की तरह
सुर्ख रंगत लपेटे हुए
थोड़ी लपटें , थोडा धुआं
और मैं जलता हूँ धीरे धीरे
राख के कतरों में
उन्स अभी बाकी है
जिंदगी फ़ना होने तक
उम्मीद से रोशन रहेगी
1 comment:
Pushpendra Vir Sahil पुष्पेन्द्र वीर साहिल
October 10, 2011 at 9:41 AM
behtareen...
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behtareen...
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