बहुत करीब से देखा मैंने है उसे
लकीरों के घरोंदे बनाते हुए
ब्रहस्पति की चापलूसी करते ,मंगल को मानते हुए
सोमवार को भूका रहकर ,पैदल मंदिर जाते हुए
मंगलवार को बेसन के लड्डू , हनुमान को चढ़ते हुए
शुक्र वर को गुड चना , रवि को मीठा खाते हुए
शनिवार को कोरे सिक्के , तेल मैं डूबते हुए
नौ दिन उसको जेठ - शरद में , कन्याओं को खिलते हुए
माई - मैय्या रट रट कर वैष्णो देवी चढ़ जाते हुए
फ़िल्मी भजनों की पिंगो पर जगराता लगते हुए
देखा मैंने है उसे करीब से
अपने बहू को लेकर डाक्टर के क्लिनिक जाते हुए
बहु को खोटी खरी सुना कर,सच्चाई को झुट्लाते हुए
उसे अजन्मी मुस्कान को ,कोख में मिटते हुए
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