Friday, May 06, 2011

for ANSHUMAN

सदियाँ बीत गई तुमको गले से लगाये हुए
बैठ कर देहलीज पर तुम्हें गाली सुनाए हुए
एक ही थाली से रोटी खाए हुए
सांझी बोतल को मुंह से लगाये हुए
छुप कर के मोटी रजाई में चुटकुला सुनाए हुए
हंसी को गले में घुट कर डांट माँ की पचाए हुए
शिकवे गिले सुनकर तुम्हारे, उनको हवा में उड़े हुए
सपनो के पीछे मिलकर दौड़ लगाये हुए
बस्ते में बांध के हिम्मत संग स्कूल जाए हुए
फाड़ के कापी के पन्ने नाव बनाए हुए
जूते कपडे भीगा कर गोता लगे हुए
वो तुम्हारे पैसे चुराए हुए
अंगुलियों पे तुमको झूट गिनाए हुए
मांग के माफ़ी , कर के वादा पलट जाए हुए
सदियाँ
हाँ सदियाँ बीत गई तुमको जाए हुए

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