Saturday, February 25, 2017

आज दिल फिर से बगावत पर उतर आया है

आज
दिल फिर से बगावत पर उतर आया है
और ज़िद पकड़ ली है
कि चाँद की पेशनी पर सितारे सजायेगा

बावला
बड़ी देर तक आसमान को घूरता रहा
और दूरियों से राकाबत पर उतर आया
अगर उसके हाथों में कहीं से कोई सुआ पढ़ जाता
तो अपने शिद्दत की डोर से
उफ़क़ को ही सी डालता

अब उसे कैसे कोई समझाए
की तकदीर के साहिल
सील तो सकते हैं
मिल नहीं सकते

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