बातों बातों में
जब भी
कभी
तेरा ज़िक्र निकल आता है
तेरा ख्याल
बन कर रंगत
मेरे गलों पर उतर जाता है
मेरी हथेली पर
पिघलती हैं शबनमी बूँदें
आँखों में भी
थोडा
खुमार
नज़र आता है
जब भी
कभी
तेरा ज़िक्र निकल आता है
जब भी
कभी
तेरा ज़िक्र निकल आता है
तेरा ख्याल
बन कर रंगत
मेरे गलों पर उतर जाता है
मेरी हथेली पर
पिघलती हैं शबनमी बूँदें
आँखों में भी
थोडा
खुमार
नज़र आता है
जब भी
कभी
तेरा ज़िक्र निकल आता है
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