Saturday, November 16, 2013

इबादत

तेरी इबादत ही अब मेरा इमान है 
तू खुदा मेरा तू ही मेरा ज़हान है 
काफिर ये क्या जाने कि तक़लीद है क्या 

कुफ्र ही सही पर अब ये मेरी पहचान है

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