तुमको सोचते सोचते
न जाने
कब मेरे आँख लग गयी
और
मैं
चेतना के पार चला आया
वो
तुम ही थी
शायद
वहाँ
मोंगे की साड़ी में
मोगरे सी महकती
बालों में अपने सूरज सजाये
हाँ
वो तुम ही थी
मैंने तुमको बहुत करीब से देखा
मुस्कराहट ऐसी
जो पूनम के चाँद को पानी पानी कर दे
आँखों की चमक ऐसी
रोशनी को दीवानी कर दे
कुछ पुरवाई सी चल कर
तुम मेरे करीब आई
और हाथ पकड़ कर बोली
की साथ हमको
बहुत दूर तक जाना है
अपने साझे अल्फाजों से
दुनिया को सजाना है
जो
साथ हैं हम तुम तो
सर्जन का खजाना है
अब चाहो न चाहो
ये रिश्ता निभाना है
हाथ जो पकड़ा है
अगर छूट जायेगा
शायद कल्पना से अपना रिश्ता
टूट जायेगा
फिर
न तुम रहोगे तुम
और न मैं
मैं रहूंगी
कब से सोच रही थी
कि
ये बात तुम से कहूँगी
मैंने देखा
तुम्हारी आँखों में
सब कुछ खरा था
कुछ तो था सूरज
कुछ तो धरा था
वो उंगलिया तुम्हारी
मेरी उँगलियों से सिलकर
सासों कि ताल तेरी
मेरी धडकनों से मिलकर
न जाने कैसे जादू कर गयी
तुझे देखते देखते
न जाने कब रात गुज़र गयी
हुआ सवेरा
और खिड़की से
उतरा सूरज मेरे सिरहाने
मुझको यकीन है
उसे
तुमने भेजा है मुझे जगाने
न जाने
कब मेरे आँख लग गयी
और
मैं
चेतना के पार चला आया
वो
तुम ही थी
शायद
वहाँ
मोंगे की साड़ी में
मोगरे सी महकती
बालों में अपने सूरज सजाये
हाँ
वो तुम ही थी
मैंने तुमको बहुत करीब से देखा
मुस्कराहट ऐसी
जो पूनम के चाँद को पानी पानी कर दे
आँखों की चमक ऐसी
रोशनी को दीवानी कर दे
कुछ पुरवाई सी चल कर
तुम मेरे करीब आई
और हाथ पकड़ कर बोली
की साथ हमको
बहुत दूर तक जाना है
अपने साझे अल्फाजों से
दुनिया को सजाना है
जो
साथ हैं हम तुम तो
सर्जन का खजाना है
अब चाहो न चाहो
ये रिश्ता निभाना है
हाथ जो पकड़ा है
अगर छूट जायेगा
शायद कल्पना से अपना रिश्ता
टूट जायेगा
फिर
न तुम रहोगे तुम
और न मैं
मैं रहूंगी
कब से सोच रही थी
कि
ये बात तुम से कहूँगी
मैंने देखा
तुम्हारी आँखों में
सब कुछ खरा था
कुछ तो था सूरज
कुछ तो धरा था
वो उंगलिया तुम्हारी
मेरी उँगलियों से सिलकर
सासों कि ताल तेरी
मेरी धडकनों से मिलकर
न जाने कैसे जादू कर गयी
तुझे देखते देखते
न जाने कब रात गुज़र गयी
हुआ सवेरा
और खिड़की से
उतरा सूरज मेरे सिरहाने
मुझको यकीन है
उसे
तुमने भेजा है मुझे जगाने
सुंदर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeletesuraj aur dhara ka issey pyara rishta nahin ho sakta ..you write wonderful, skand bless you
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