1
दुआ को हाथ उठा , मांग उसकी निगेहबानी
वक्त ढल जायेगा , होगी खाख़ जिंदगानी
जो उस से कर तू इश्क , तो इतना सुरूर होगा
रूह रश्क कर उठेगी उसके हदूद में
घुल जायेगा तू कतरा, उसके वजूद में
रह जायेगा जो बांकी वो उसका ही नूर होगा
2
इबादत की सुबह की धूप है रहमत
जो तुझ पर इल्म बन कर छाई है
बाँट दे ये सफा तू जरुरतमंदों में
तेरे हिस्सें में तो बस रहनुमाई है
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