कविता
तुम सुबह की धूप हो
श्रृंगार हो तुम, रूप हो
तुम रंग हो उमंग हो
तुम सुबह की धूप हो
श्रृंगार हो तुम, रूप हो
तुम रंग हो उमंग हो
आकाश हो पतंग हो
तुम जीने का ढंग हो
तुम जीने का ढंग हो
सांसों की तरंग हो
तुम हे मेरी आन हो
तुम ही मेरा मान हो
तुम हो मेरी जिंदगी
तुम मेरी पहचान हो
तुम ही मेरे पंख हो
तुम मेरी उड़ान हो
तुम हो मेरा हौंसला
तुम मेरी मुस्कान हो
तुम ही मेरी आग हो
प्रीत हो अनुराग हो
तुम मेरी आवाज हो
धडकनों का साज हो
कल तो तुम थी मेरा
प्रीत हो अनुराग हो
तुम मेरी आवाज हो
धडकनों का साज हो
कल तो तुम थी मेरा
तुम ही मेरा आज हो
तुम -तुम
हो
तो
मैं -मैं
हूँ
हो
तो
मैं -मैं
हूँ
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