Wednesday, November 30, 2011

कविता




कविता

तुम सुबह की धूप हो
श्रृंगार हो तुम, रूप हो
तुम रंग हो उमंग हो 
आकाश हो पतंग हो
तुम जीने का ढंग हो
 
सांसों की तरंग हो

तुम हे मेरी आन हो 
तुम ही मेरा मान हो 
तुम हो मेरी जिंदगी
तुम मेरी पहचान हो

तुम ही मेरे पंख हो 
तुम मेरी उड़ान हो 
तुम हो मेरा हौंसला 
तुम मेरी मुस्कान हो 

तुम ही मेरी आग हो
प्रीत हो अनुराग हो
तुम मेरी आवाज हो
धडकनों का साज हो
कल तो तुम थी मेरा
तुम ही मेरा आज हो  

तुम -तुम
हो
तो
मैं -मैं
हूँ 

No comments:

Post a Comment