Friday, August 26, 2011

आठ मोड

आठ मोड पर बैठ कर वो सतरंगे सपने देखता था 

आठ मोड....

जहाँ से सारी कायनात दिखती है

माल रोड SR, लंग्हम के साथ दिखाती है 

उसके कपड़ों पे सलवट पडी थी

शायद उसने करवट बदल कर सपने देखे थे

इन्द्रधनुष तो उसका ही था,हरे नीले ब्लेज़रों मैं भी अपने देखे थे 

उसकी आखों में उम्मीद का उन्माद था 

जो रह रह कर उसके होठों पर उतर जाता 

जब भी कोई नया चेहरा देखता .. वो मुस्कुराता 

अलफ़ाज़ उतरते लहरों से , थमते ठहर जाते

जब कभी वो चेहरे उस पर मुस्कुराते 

उम्मीद थी उसकी इस वसंत , होगा बुरांश का वो हमजोली 

कोयल का जब साज चलेगा, होगे भरी उम्मीद की झोली

जब बादल चूमेंगे पानी , बीच झील में ख्वाब बुनेंगे 

गिरते बांज के पत्तों से धड़कन का साज सुनेंगे 

पाले से भीगा मौसम में भी उसने उमीदों से थी निभाई 

बरसों दिन वसंत के शरद की रातें , 

आठ मोड पर उसने बिताई

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